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    प्राचार्य

    “शिक्षा का कार्य किसी को गहनता से और समालोचनात्मक रूप से सोचना सिखाना है। बुद्धि और चरित्र – यही सच्ची शिक्षा का लक्ष्य है।“
    – मार्टिन लूथर किंग, जूनियर
    केन्द्रीय विद्यालय क्र. १ जी.सी.एफ. जबलपुर ने सदैव ही ना सिर्फ शिक्षा के क्षेत्र में नए किर्तीमान स्थापित किए है बल्कि छात्रों का चरित्र निर्माण भी किया है | आज के इस प्रगतिशील समाज में छात्रों की रचनात्मकता एवं सर्जनात्मकता को एक सूत्र में पिरोया है | आज का छात्र कल का एक सफल एवं सुदृढ़ नागारिक बनेगा यह सूत्र कक्षाओं की अवधारणा है ।नित्य नए तकनीकी उपकरणों एवं संसाधनों के बारे में जानकारी एकत्र कर बच्चों को उससे अवगत करता है जिसका कक्षाओं में शिक्षण पद्धति में भरपूर प्रयोग कर सूचीकर बनाया है जिसका प्रभाव स्पष्ट रूप से बच्चों पर भी दिखता है |
    आज समाज में हम नैतिक मूल्यों का पतन देख रहे है हमारा विद्यालय छात्रों को नैतिक मूल्यों को शिक्षा के माध्यम से पुन: स्थापित कर रहा है इसके अतिरिक्त हमारे विद्यालय में शिक्षकों एवं कुशल प्रशिक्षित अतिथियों द्वारा समय समय पर बच्चों की कैरियर काउंसलिंग ,किशोर शिक्षा आदि पर कार्यशाला का आयोजन निरंतर होता है जो कि बच्चों के चरित्र निर्माण एवं नैतिक मूल्यों को परखने में मददगार होता है पाठ्य सहगामी – क्रियाकलापों का आयोजन बच्चों में एक कुशल प्रतियोगी की भावना का निर्माण करता है (शैक्षणिक गातिविधियों के साथ – साथ ) यादि हम आज की पीढ़ी को शिक्षा के हथियार से सुसज्जित करते है तो निश्चित ही अंधकार के बादल छट जाएगें ।
    The goal of education is not to increase the amount of knowledge but to create the possibilities for a child to invent and discover, to create men who are capable of doing new things.
    -Jean Piaget